लक्ष्यदीप के लिए विवाद
हाल ही में मालदीव ने एक प्रयास किया है, भारत से 1 विवाद में उलझने का। और यह विवाद था लक्ष्यदीप को लेकर। लक्षदीप जाते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अपनी वही तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा कर देते हैं और लोगों से यह कहते हैं कि वे भी लक्षदीप जरूर जाएं। यह विवाद मालदीव में रह रहे लोगों को और वहां के मंत्रियों को चुभा रही है।
मंत्रियों का सस्पेंड
मालदीव में 3 मंत्री ऐसे थे जिन्होंने इस विवाद को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर को लेकर विवाद पर टिप्पणी करनी शुरू कर दी। और इसके बाद मालदीव की सरकार को उनके बचाव में आना पड़ा और अपनी सफाई भी देनी पड़ी। उन्होंने तीनों को सस्पेंड कर दिया। तीनों के सस्पेंशन के बाद यह बात भी सामने रखी गई कि ये उनके निजी बयान थे। उन तीनों मंत्रियों के निजी बयान थे। इससे सरकार का कोई लेना-देना नहीं है।
चीन में मालदीव का राष्ट्रपति
मालदीव के नए राष्ट्रपति मोजू वर्तमान में चीन में हैं। उनकी चीन यात्रा 5 दिन की है और 12 तारीख को वे वहां से लौटेंगे। इससे पहले 20 अग्रीमेंट साइन हो चुके हैं चीन और मालदीव के बीच। इनमें 1 अग्रीमेंट टूरिज्म को लेकर भी है, जिसमें टूरिज्म को किस तरीके से बढ़ाया जाएगा उसको लेकर भी बात हुई है।
चीन का दबदबा
चीन क्षेत्रफल में बहुत बड़ा देश है जो कर्ज देकर छोटे-छोटे देशों को अपने वश में रखता है। यह उनकी चक्रव्यू की एक विशेषता है। चीन ने श्रीलंका के साथ भी ऐसा ही किया था जब उसने उस पर कर्ज दिया था। यह बात पूरी दुनिया ने देखी थी। पिछले साल श्रीलंका के लिए यह कर्ज बहुत भारी रहा था।
मालदीव के लिए चुनौती
मालदीव के लिए पर्यटन अर्थव्यवस्था में बहुत महत्वपूर्ण है। अगर भारतीय पर्यटक वहां नहीं पहुंचेंगे तो उनको कितना बड़ा नुकसान हो सकता है। इसलिए मालदीव को चीन के साथ समझदारी से काम करना होगा ताकि वह चीन के चक्रव्यू में फंस न जाए।
चीन के आग्रह
चीन की ओर से यह भी कहा गया है कि वह मालदीव को प्रोत्साहन राशि भी देगा। हालांकि, यह नहीं बताया गया है कि इस राशि की विस्तारित जानकारी कौन देगा या कितना राशि दिया जाएगा। चीन का यही तरीका होता है, वह कर्ज देकर देशों को अपने वश में रखता है और फिर उन्हें प्रोत्साहन राशि या फिर किसी अन्य रूप में आर्थिक मदद देता है। लेकिन दिनों बाद जब उसको कर्ज चुकाना होता है, तो कोई देश वह कर्ज चुका ही नहीं पा सकता।
मालदीव को चुनौती
चीन के दबदबे के चलते मालदीव बहुत ज्यादा चिंतित है। अगर मालदीव अपनी समझदारी के साथ काम नहीं करेगा तो वह पाकिस्तान की तरह चीन का शिकार बन सकता है। तो यह बहुत जरूरी है कि मालदीव चीन के साथ एक समझौता करें और अपनी आर्थिक स्थिति सुधारें।
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